कुछ मछुआरे नदी किनारे रोजमर्रा के अपने कार्य कर रहे थे। वे नदी में अपने जाल डाल रहे थे और मछलियों के फँसने का इंतजार कर रहे थे।
कुछ देर बाद उन्होंने तय किया कि थोड़े समय के लिए कार्य से अवकाश लिया जाए। किनारे पर अपने जाल छोड़कर दोपहर का भोजन करने के लिए वे किनारे से थोड़ी दूर चले गए।
वहाँ एक पेड़ था जिसकी एक शाखा पर बैठा बंदर मछुआरों की इन सारी गतिविधियों को चकित भाव से देख रहा था। वह उन गतिविधियों की नकल करने के लिए बहुत उत्सुक था।
मछुआरों के हटने पर बंदर को मौका मिल गया। वह पेड़ से नीचे उतरा और उसने मछुआरों द्वारा किए गए कार्यों को करने की कोशिश की। लेकिन उसने जैसे ही जाल को छुआ वैसे ही वह उसमें उलझ गया।
उसका जीवन खतरे में पड़ गया। वह डूबने लगा। जान बचाने की कोशिश करते हुए वह चिल्लाने लगा, “मैं जिसका भागी था वही मुझे मिला। पहले से सीखे बगैर मुझे मछली पकड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी।”
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