लोमड़ी की चालाकी

लोमड़ी की चालाकी

 लोमड़ी की चालाकी


एक दिन एक लोमड़ी अचानक एक कुएँ में गिर गई। कुएँ में गिरकर वह चिल्लाने लगी,”बचाओ-बचाओ, कोई मुझे बचाओ।” उधर से गुजर रही एक बकरी कुएँ से पानी पीने के लिए रुकी।

कुएँ के पास आकर जब उसने झाँककर देखा तो कुएँ के अंदर लोमड़ी को देखकर पूछा, “बहन! तुम यहाँ क्या कर रही हो?” लोमड़ी चालाक थी।बड़े मीठे स्वर में बोली, इस कुएँ का पानी बहुत मीठा है।

मैं हमेशा यही पानी पीती हूँ। मैं आज इसमें इसलिए आई हूँ, कि ज्यादा पानी पी सकूँ। तुम भी अंदर आ जाओ और जी भर कर पानी पियो। यह सुनते ही बकरी कुएँ में कूद पड़ी।

उसकी पीठ पर चढ़कर लोमड़ी कुएँ से बाहर आ गई। बाहर आकर उसने हँसते हुए बकरी से कहा, “कुछ भी करने से पहले उसका परिणाम जरूर जान लो।”   

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